Deliver to Vanuatu
IFor best experience Get the App
Full description not available
Y**R
Top class
The paper quality is a bit low but the writing in the book is awesome.
A**A
भाप के घर में शीशे की लड़की
बाबुशा कोहली जी ने क़िस्से की गद्य रूप कथा जो साहित्यिक शृंगार लिये गद्य रूप में रची हैलेखिका ने अपने लेखन के माध्यम से समाज को रूढ़िवादियों से बाहर निकाला है । अपनी कथाओं के माध्यम से समाज में फैली हर बुराइयो को गहरी चोट दी है।बुद्ध के प्रेम का संदेश दिया है। अपने विद्यालय के बच्चो के साथ कहानियों , कथाओं पर चर्चा करके समाज में फैले आडंबर, पाखंड, को आड़े हाथों लिया है। प्राचीन समय में मानव समाजों में विशेष गुणवत्ता और आदर्श विकसित होते थे, जिनमें मानवता, श्रेष्ठता, और आध्यात्मिकता के महत्वपूर्ण सिद्धांत शामिल थे। इसे साहित्यिक रूप में व्यक्त किया गया है कि ये संस्कृतियाँ अब विलीन हो गई हैं, अर्थात् उनके शृंगारिक, साहित्यिक और धार्मिक मूल्यों का महत्वपूर्ण हिस्सा आजके समय में हार गया है।क्लास में बच्चो से पूछने पर की तुम्हें मार्स में जाने का मिल जाये तो तुम वहाँ अपनी एक कमी या कोई बुरी चीज छोड़कर आ सकते हो तो क्या छोड़ना चाहोगे? बच्चो द्वारा उबाऊ बस्ता छोड़ने का मन बना लेना और बिलकुल सही भी है । में एक शिक्षक होने के नाते मेरा मानना है की बच्चों को बस्ते के बोझ तले नहीं दबाना चाहिए। उनकी आत्मविश्वास और स्वतंत्रता को समझा जाना चाहिए ताकि वे अपने विचारों को व्यक्त कर सकें और स्वतंत्र रूप से सोच सकें।इसके लिए बच्चों को समझाने और मार्गदर्शन करने की आवश्यकता होती है, जिससे उनकी व्यक्तिगत विकास को प्रोत्साहित किया जा सकता है। बच्चों को सुना और समझा जाना चाहिए, उनके सवालों का उत्तर दिया जाना चाहिए और उन्हें उनके विचारों को व्यक्त करने के लिए मौका देना चाहिए।इसके अलावा, उनकी सुरक्षा और देखभाल का भी ध्यान रखना महत्वपूर्ण है, ताकि वे खुलकर और बिना डरे समझ सकें कि वे सुरक्षित हैं। इस तरीके से उन्हें आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने में मदद मिलेगी।बाबुषा जी ने कविता का जो विश्लेषण रूप दिखाया है जिससे कविता दिल की गहराइयो तक समा सके।“ दुःख की कविता में जो ‘ वाह’ कहता है, उसे कविता की समझ हो सकती है-दुःख की नहीं।प्रेम की इतनी सुंदर वाख्या मन को मोह लेती है।बहुत ही सुंदर तरीक़े से प्रेम का विश्लेषण किया है जो अद्भुत है“ प्रेम ही सबकुछ नहीं है। देश भी है। राजकाज भी है। सेनाएँ भी हैं। नीतियाँ भी है। रीतियाँ भी।” में कहती हूँ ठीक। पर इन नीतियों रीतियों ने संसार को युद्ध दिये है, प्रेम ने बुद्ध।
Trustpilot
3 days ago
2 days ago