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P**M
MAHATMA FHULE 🙌🏻
Sachh a nice book and very interesting and great full publication
P**Y
गुलामगिरी चा पूर्ण खेळ समजण्यासाठी जरूर वाचा.
(पुस्तकं मराठीतच आहे, पण आचार्य प्रशांत ॲप वर पोस्ट करण्यासाठीreview हिंदी मध्ये आहे)आज मैंने ज्योतिराव फूले जी की 'गुलामगिरी' यह पुस्तक पढ़ के पूर्ण की।इस पुस्तक में ज्योतिबा फूले जी ने भारतीय जातिव्यवस्था, शूद्रों और अतिशूद्रों पर सदियों से होने वाला हृदयद्रावक अन्याय उजागर किया हैं।पुस्तक ब्रम्हणों और भटों पर सीधा आक्रमण करती हैं।इस पुस्तक ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दीया हैं। ऐसा लगता हैं की क्या मुझे भारतीय इतिहास के बारे में कुछ भी पता हैं? क्या मुझे केवल एक तरफा इतिहास पढ़ाया गया हैं? और मुझे लेखक पर भी शक हुआ की क्या उन्होंने जो एकदम ब्राह्मण विरुद्ध बाकी वर्णों में जो ब्लैक एंड व्हाइट भेद किया हैं, क्या वो ठिक भी है?यह पुस्तक यदि आचार्य जी ने ना रिकमेंड की होती तो मैं इसे शुरवाती कुछ चैप्टर्स के बाद ही छोड़ देता, क्योंकि पुस्तक हिंदू धर्म के दिग्गज माननीयों के खिलाफ़ सीधा आक्रमण करती हैं।मैं ये पुस्तक सभी से पढ़ने की गुजारिश करूंगा, दो कारण हैं। एक तो, मैं अकेला ही क्यों सोचता रहू? तो आप भी पढ़िए और बताइए आप क्या सोचते हैं। और दुसरा कारण ये है, की पुस्तक से हमें ये सीखने को मिलता हैं की अज्ञानी, निरक्षर और ऐसे लोग जिन्होंने अविद्या की शिक्षा नहीं ली हैं, ऐसे लोगों को गुलाम बनाना कितना आसान हैं। गुलमगिरी कैसे काम करती हैं, कैसे अपने स्वार्थ हेतु ग्रंथ रचे जाते है, अपने स्वार्थ हेतु धर्मउपदेश दिए जाते हैं, स्वयं को ब्रम्हाके मुंह की पैदाईश तो दलित को ब्रम्हाके पैरों की ऊपज बताया जाता हैं।पुस्तक हिंदू धर्म में बताए जाने वाले 10 अवतारों के महिमामंडन को ब्राम्हणों की साजिश बताती है, और इतिहास पूरे 180 डिग्री टर्न के साथ हमारे समाने रखा जाता हैं, एकदम शुरुजैसे नृसिंह और हिरण्यकश्यप की लड़ाई में असली विलन तो नृसिंह हैं और हिरण्यकश्यप तो भलाई करने वाला राजा हैं। ये बस एक उदाहरण हैं, आप जरा दिल कड़ा करके पुस्तक पढ़ेंगे तो दंग रह जाएंगे।मैं महाराष्ट्र से होने के कारण पुस्तक में जो महार, भराड़ी, मऱ्हाठी, कुनबी, पाटिल, कुलकर्णी और भी कई सारी जाती कैसे उत्पन्न हुईं यह रोचक तरीके से बताता हैं।पुस्तक पढ़ने से पहले मैं केवल ब्रिटिश और मुगलों को अक्रांता मानता था, पर पुस्तक में ब्रम्हाणों को ईरानी अक्रांता बताया हैं, जिन्होंने मूल भारतीय निवासियों को गुलाम बनाया। आश्चर्य ये था की लेखक पुस्तक में भारत के ब्रिटिश और यूरोपियन सरकार को हमारे, दयालु, परोपकारी ऐस शब्दों से अलंकृत करती हैं।लेखक ने भारत में हुए बड़े बड़े संत, महापुरुष और शंकरचार्य पर सवाल उठाए हैं, की क्या इनमें इतनी हिम्मत नहीं थी के ये देश के शुद्र, अतिशूद्र और दलित लोगों के गले से दास्यत्व का पट्टा हटा सके।मैं पुस्तक में कहें गए सभी चीजों से सहमती नहीं रख रहा हूं, शायद आगे जाके चीज़े और खुलेगी, पर मेरी सोच पर इस पुस्तक ने काफ़ी असर डाला हैं।
Y**H
Value for money
Paper quality is good. Value for money
A**
Authentic product
Nice book everyone must be read
P**L
Intact pages
Most of the pages were stick to each other, I have to use scale to release the pages.
S**R
An eye opener
1873-2023. We got freedom from British rule but the society is slave to caste system…Book is still relevant after 150 years…
T**
Excellent customer service.comes on time
The media could not be loaded. This book is very useful to upgrade your knowledge.
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1 month ago
1 day ago